यहां दीया भी है जुगनू ंभी है और लाखो तारों की चमक भी है इसके बावजूद दुनिया भर के अँधेरे हमारे साथ रहते है नींद से तलाक़ लिये हमेँ एक अरसा हो गया खुली आँख के सपने पर देर तक टिक कहाँ पाते है इन काँटों ने फूलों की खुशबू लूटी तितलियों के पर भी नोचे इन काँटों की मक्कारी देखो फिर भी ये फूलों संग टिके रहते है माना की खुदकशी को एक गुनाह माना गया है फिर भी कुछ मायूस लोग फुरसतो मे खुदकशी कर लेते है बहुत कोशिश की है हमने साख हमारी ज़माने मे कायम रहे. इसीलिए हम लोगो से हँस बोल कर गले मिलते है ©Parasram Arora दीया भी है जुगनू भी #Sunrise