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मैं लिख नहीं सकता कि किसी शायर ने खूब कहा है। कि ट

मैं लिख नहीं सकता
कि किसी शायर ने खूब कहा है।
कि टूटे फूटे लिखते हैं
पर अपनी अंदाज में लिखते हैं।
   अंदाज इस तरह है
सुबह को शाम मान लेता हूं
दोपहर को रात,
कड़ाके की ठंड को
लू मान लेता हूं।
बेरूखी इंसान में झलके
तो भगवान मान लेता हूं।
मौसम बदले तो
इंसान की मिज़ाज मान लेता हूं।

©#suman singh rajpoot
  #agni मैं लिख नहीं सकता
कि किसी शायर ने खूब कहा है।
कि टूटे फूटे लिखते हैं
पर अपनी अंदाज में लिखते हैं।
   अंदाज इस तरह है
सुबह को शाम मान लेता हूं
दोपहर को रात,
कड़ाके की ठंड को

#agni मैं लिख नहीं सकता कि किसी शायर ने खूब कहा है। कि टूटे फूटे लिखते हैं पर अपनी अंदाज में लिखते हैं। अंदाज इस तरह है सुबह को शाम मान लेता हूं दोपहर को रात, कड़ाके की ठंड को

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