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दर्द - ए - दिल का क्या करे । यहां दर्द का मरहम किस

दर्द - ए - दिल का क्या करे ।
यहां दर्द का मरहम किसी से लगाया नही जाता ॥
दर्द अपना सुनाया नही जाता ।
हकीम से भी इश्क -ए - मर्ज का ईलाज कराया नही जाता ॥

वह मुझसे भुलाई नही जाती और अतीत हमसे छुपाया नही जाता है ।

अब तो गर्मों के सहारे कट रही जिन्दगी हमारी ।
उसके यादों के सिवाह घर और बसाया नही जाता ॥
सामने वह थे हमारे तो हजारों गिल्ले शिखवे थे उनसे l
अब उनके बिना सफर आखरी तय किया नही जाता

©Shakuntala Sharma
  # दर्द - ए -दिल का क्या करे। इश्क - मर्ज का ईलाज हकीम से भी किया नही जाता है ।

# दर्द - ए -दिल का क्या करे। इश्क - मर्ज का ईलाज हकीम से भी किया नही जाता है । #शायरी

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