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उजाले भी होंगे अंधेरे भी होंगे, मगर जिन्दगी को तो

उजाले भी होंगे अंधेरे भी होंगे,
 मगर जिन्दगी को तो जीना पड़ेगा।
सदा फूल राहों में मिलते नहीं हैं,
कांटों पे भी पांव रखना पड़ेगा।

मंजिल कभी उनको मिलती नहीं है,
जो मुश्किलों से हैं डर जाते अक्सर।
 नहीं होती इज्जत जमाने में उनकी,
जो सिर झुंकाए जिए जाते अक्सर।

मंजिल ओ इज्जत अगर पाना है तो,
मोल इसका भी हम को चुकाना पड़ेगा।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  #उजाले भी होंगे अंधेरे भी होंगे।