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रब ने दिया हमें नूर ए क़िस्मत से, रूप इंसान का तरस

रब ने दिया हमें नूर ए क़िस्मत से, रूप इंसान का
तरस जाते है जानें कितनी आत्माएं ये काया पाने
के लिए,फिर भी इंसा जिंदगी भर रब को कोसते
नहीं थकता, जरा कल्पना करके देखो की काश
हम इंसा नहीं कीड़े मोकोड़े होते 
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इसलिए आओ ईश्वर का आभार व्यक्त करें:
 की 
"तेरी तारीफ में जितनी भी करूं ए खुदा कम है
तूने बक्शा, जो स्वरूप मेरा क्या वो कम है,
तरस जाते है, जानें कितनी आत्माएं, पाने
के लिए ये काया, तूने बिन मांगे दे दिया मुझे
वो, जिसके लिए पूरी कायनात परेशां है "

©पथिक
  #इवादत ए खुदा

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