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जब आंगन की धूल बना देती थी खूबसूरत। बरसात में कीचड

जब आंगन की धूल
बना देती थी खूबसूरत।
बरसात में कीचड़
निखार देता था चेहरा।
बेजान से खिलौने
बन जाते थे सच्चे साथी।
आसमां छूते हर दिन
नए नए सपनें,
बेवजह का गुस्सा
मासूम सी शरारतें
फिर हर शाम
दुनियादारी से मुक्त,
सुकून की नींद।
आंखों में बसता, गुजरता,
वो सुनहरा दौर, खूब था हमें भाता।
काश वो बचपन फिर से लौट पाता।
#kc बाल दिवस की बधाई।
जब आंगन की धूल
बना देती थी खूबसूरत।
बरसात में कीचड़
निखार देता था चेहरा।
बेजान से खिलौने
बन जाते थे सच्चे साथी।
आसमां छूते हर दिन
नए नए सपनें,
बेवजह का गुस्सा
मासूम सी शरारतें
फिर हर शाम
दुनियादारी से मुक्त,
सुकून की नींद।
आंखों में बसता, गुजरता,
वो सुनहरा दौर, खूब था हमें भाता।
काश वो बचपन फिर से लौट पाता।
#kc बाल दिवस की बधाई।

बाल दिवस की बधाई। #kc