सांप-सीढ़ी मेरे घर पर एक पुराना सांप सीढ़ी का खेल पड़ा है। उसकी उम्र भी मेरे जितनी होगी। ज़िन्दगी के खेल में और मेरे इस सांप-सीढ़ी के खेल में एक समानता है। वो जो 99 पर बैठा सांप है, वो हमेशा मुझे डस लेता है और 7 पर लाके छोड़ देता है। नतीजतन मंज़िल मुझे मिलती नहीं और बुढ़ा मैं होता नहीं। इस निन्यानबे के काटे का तोड़ नहीं मिल पाता है"