Writings of Manchala Azeem
तेरे ज़ख्मों से ही दुनिया बदल गयी मेरी, इसिलए मैं तेरा एहतराम
ज़बान पे ताले जितने दाल दिए ज़माने ने, नज़र नज़र ही में मैं उनसे कलाम करता हूँ
बोहोत ग़ुरूर है तुझको तेरी जवानी पर, मैं तेरे हुस्न को खुद पे हराम करता हूँ। Harishita Singh