मील का पत्थर, काँपता थर-थर, वेदना असीम, हो रहा असर, लगी चिन्गारी, जले कितने घर, गँवाया सबकुछ, हो गए बेघर, सियासत ख़ामोश, कैसे हो ख़बर, चली थी आँधी, गिर गया शज़र, घोर तन्हाई, कोई न रहगुज़र, सूखती सरिता, जमीं है बंजर, हर तरफ तांडव, बोल अब हर-हर, बचे सब 'गुंजन', उठा अब खंज़र, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #मील का पत्थर#