सुदूर देश सिंघल द्वीप की थी राजकुमारी पद्मावती
दुनिया मुझे याद करेगी मेरे कर्तव्य से ऐसा वो कहती थी
सुंदरता ने खुद को जैसे पद्मावती के रूप में ढला था
गंधर्व और चंपावती ने नाजों से सिंघल देश में पाला था
लाल लहंगा चोली चुनरी में संग नथनी कंगन माथे पर बिंदिया कर्णफूल सोने की करधन अधरों पर लाली ब्याहता बन आई रावल रतन की
सिर बाल ढांपती लाल चुनर से स्वर्ण कमल सा दमकता कुंडल
रूप मोहिनी रावल की पत्नी जैसे संग विष्णु की लक्ष्मी
पुष्प भूषित करुणामयी रूप चौदस धैर्य प्रेम त्याग की मूर्ति #yqrestzone#collabwithrestzone#yqrz#similethougths#rzलेखकसमूह#rztask83