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अभी-अभी तो जन्मी हूं, खेलते -पढ़ते न जाने कब बड़ी

अभी-अभी तो जन्मी हूं,
खेलते -पढ़ते न जाने कब बड़ी होगी हूं।।
अभी-अभी तो पैरों पर खड़ा होना 
ही सिखा था ,
खड़े होते ही पैरों पर न जाने;
क्यों मै बोझ सी लगने लगी हूं ??
विदाई करने की सबने तैयारी कर रखी है,
कन्यादान करके कर देंगे मुझे कल पराई।।
नए घर की नई रीत होगी..!!
न जाने रिश्तों से कैसे मेरी प्रीत होगी,
बाबुल सा साथ निभाने वाले क्या
 यहां लोग होंगे!!
न जाने कैसे ख़ुद को संभाल लुंगी।।

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