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पेज-45 विशाल जी ने आगे कहा-मैं मानता हूं इस बात को

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विशाल जी ने आगे कहा-मैं मानता हूं इस बात को कि आज के समय को देखते हुये प्रत्येक माता पिता या परिवार को लड़के लड़कियों को विवाह तय करने से पहले एक दूसरे को समझने का एक मौका देना चाहिए...! देखिये कितनी विचित्र किन्तु कितनी मार्मिक बात आज यहां दिख रही है... प्रिया हमारी भी उतनी ही लाड़ली बहना है जितनी मानक की... फिर भी उन्हें जो सही लगा उसने बेझिझक कहा.. वो अपने छोटे भाई के भविष्य के लिये कोई समझौता नहीं कर सकती..मैं उसकी इस भावना को प्रणाम करता हूं... लेकिन दूसरी ओर मनीषा की ओर से मैं आप अभी को ये विश्वास दिलाता हूं अगर मनीषा कहीं से भी मानक के परिवार के अनुकूल नहीं पाई गई तो ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ेगा...! लेकिन..! लेकिन.. मानक जो भी बात करेगा वो इसी मंच पर सबके सामने करेगा.. मनीषा इसी मंच से उसके सवालों का जबाब देगी....और मनीषा के सवालों का जबाब मानक देगा... और इनके सवाल जबाब के साक्षी होंगे हम आप सब.. कहिये मंजूर है..?
आगे कैप्शन में.., 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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क्रमशः 
सबने सोचा किसी बहाने ही सही बात बननी चाहिए.. क्यूंकि वहाँ तो कोई किसी का अहित सोच ही नहीं सकता था..इसलिये सभी ने कहा-स्वीकार है..!
मंच पर दो कुर्सियां लगाई गईं... सारे दर्शक.. अपने अपने स्थान पर पुनः विराजमान.. 
मानक को मंच पर बुलाया गया... 
और अब मनीषा..! 
कथाकार रुका क्यूंकि यहाँ वर्णन उसका करना था जो अपने माता पिता की परवरिश थी..!  माता पिता के संस्कारों की पराकाष्ठा थी..!  मनीषा अब अपने कक्ष से बाहर निकल रही है..!
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विशाल जी ने आगे कहा-मैं मानता हूं इस बात को कि आज के समय को देखते हुये प्रत्येक माता पिता या परिवार को लड़के लड़कियों को विवाह तय करने से पहले एक दूसरे को समझने का एक मौका देना चाहिए...! देखिये कितनी विचित्र किन्तु कितनी मार्मिक बात आज यहां दिख रही है... प्रिया हमारी भी उतनी ही लाड़ली बहना है जितनी मानक की... फिर भी उन्हें जो सही लगा उसने बेझिझक कहा.. वो अपने छोटे भाई के भविष्य के लिये कोई समझौता नहीं कर सकती..मैं उसकी इस भावना को प्रणाम करता हूं... लेकिन दूसरी ओर मनीषा की ओर से मैं आप अभी को ये विश्वास दिलाता हूं अगर मनीषा कहीं से भी मानक के परिवार के अनुकूल नहीं पाई गई तो ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ेगा...! लेकिन..! लेकिन.. मानक जो भी बात करेगा वो इसी मंच पर सबके सामने करेगा.. मनीषा इसी मंच से उसके सवालों का जबाब देगी....और मनीषा के सवालों का जबाब मानक देगा... और इनके सवाल जबाब के साक्षी होंगे हम आप सब.. कहिये मंजूर है..?
आगे कैप्शन में.., 🙏

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
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क्रमशः 
सबने सोचा किसी बहाने ही सही बात बननी चाहिए.. क्यूंकि वहाँ तो कोई किसी का अहित सोच ही नहीं सकता था..इसलिये सभी ने कहा-स्वीकार है..!
मंच पर दो कुर्सियां लगाई गईं... सारे दर्शक.. अपने अपने स्थान पर पुनः विराजमान.. 
मानक को मंच पर बुलाया गया... 
और अब मनीषा..! 
कथाकार रुका क्यूंकि यहाँ वर्णन उसका करना था जो अपने माता पिता की परवरिश थी..!  माता पिता के संस्कारों की पराकाष्ठा थी..!  मनीषा अब अपने कक्ष से बाहर निकल रही है..!