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भाई बहन के प्रेम की गाथा मैं शब्दों में कैसे ढालूॅ

भाई बहन के प्रेम की गाथा मैं शब्दों में कैसे ढालूॅं,
प्रसिद्ध हैं अनगिनत कहानियां इक पन्नों में मै क्या- क्या कह डालूं,
मां -बाप के बाद इक यार हमारा होता है,
भाई जैसे चिराग़ से रौशन परिवार हमारा होता है।
बहन तो प्रवाहित अविरल नदी,
 भाई धार नदी का होता हैं।
थोड़ी दोस्ती, थोड़ी शरारतें, खुशियां साझा करना, तो गम खुद ही साझा होता हैं।
वेद, पुराण, भगवत गीता में भी भाई बहन के प्रेम की गाथा गाई जाती हैं,
रक्षाबंधन के महापर्व पर बहन राखी को प्रतीक बनाती हैं,
यह अवसर मिले हमको जन्मों तक यह कहके त्यौहार मनाती हैं,
भाई भी इस बन्धन में बंधकर शपथ यह तो लेता है,
करूंगा जन्मों तक बहन की रक्षा,कर्तव्य हमारा होता हैं।
वो भाई होता किस्मत वाला,जिसकी बहना होती हैं,
वो बहना होती किस्मत वाली जिसका भाई होता है।
दुआ करती हूं उनके खातिर, जिस बहना का हैं भाई नहीं,
हां दुख उसको भी होती होगी, जब पर्व लोग मनाते होंगे,
दुखी ना हो तू बहना, तू उस ईश्वर को भाई मान ले,
देगा वो सारी खुशियां तू उसको राखी बांध दें।
हां दुख उस भाई को भी होता होगा, 
जिसकी हैं बहना नही,
प्रार्थना करती हूं मैं ईश्वर से,
 मुझे ऐसे भाई का भी साथ मिले, 
अहसास ना होने दूं उसको इक बहन से ज्यादा उसको हमसे प्यार मिले।
ये खून से बना रिश्ता है, ये रक्त में बंधा बन्धन है,
ये रिश्ते इक दूजे में सिमटे,ये अपार प्रेम का संगम हैं।
आओ संग खुशियां बांटें, राखी जैसा त्योहार मनाए,
भाई -बहन के प्रेम की गाथा इक स्वर में संग -संग गाए।
चलो रक्षाबंधन जैसा महापर्व त्यौहार मनाए- 2
             ~~नंदिनी शुक्ला ~~~

©Nandini shukla
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