कुछ सवालों के सितम थे कुछ अफवाहों की जमीन थी कुछ बवालों का चलन था कुछ मलालों की फसल थी शौक़ के शहतूत खाना तो शायद ठीक था लेकिन संभाल रखने की कवायद मुश्किल थी ढलान पर उतरना जरा संभल के पैर फिसल ना जाए शिखर तक पहुंचने की ज़िद में ऊंचाइयों पर चले आए बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla ज़िद RAVINANDAN Tiwari