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bablibhatibaisla6758
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Babli BhatiBaisla

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Babli BhatiBaisla

New Year 2025 छोटी छोटी बातों को उछालने की जल्दी में 
चुगलखोर  नहीं रहते कभी शर्म की हदबंदी में 
डालते हैं बड़ी से बड़ी दरारें लोगों के बीच में 
तमाशाई बन  बोते रहते हैं झगड़े के बीज से 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla #Newyear2025  वैद्य (dr) उदयवीर सिंह  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Rajesh kohli  R Ojha  KK क्षत्राणी  Ravi Ranjan Kumar Kausik

#Newyear2025 वैद्य (dr) उदयवीर सिंह SIDDHARTH.SHENDE.sid Rajesh kohli R Ojha KK क्षत्राणी Ravi Ranjan Kumar Kausik #विचार

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Babli BhatiBaisla

है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले
अवकाश लेकर समस्त मित्रमंडली मिले 

पर नित नई व्यस्तताओं से जूझने लगें है 
और ना चाहते हुए भी पीछे छूटने लगे हैं 

प्रयासों का पराक्रम तेजहीन प्रतीत होता है 
जब स्वयं के लिए मन अवकाश खोजता है 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Sethi Ji  R Ojha  Ashutosh Mishra  Lalit Saxena  Bhardwaj Only Budana  SIDDHARTH.SHENDE.sid

Sethi Ji R Ojha Ashutosh Mishra Lalit Saxena Bhardwaj Only Budana SIDDHARTH.SHENDE.sid #कविता

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Babli BhatiBaisla

आप सभी को सुबह की राम राम 
गर्मागर्म मूंगफलियां भगाएं सर्दी तमाम 
बबली भाटी बैसला🙏

©Babli BhatiBaisla  Vikram vicky 3.0  R Ojha  Ravi Ranjan Kumar Kausik  RAMA Goswami  Lalit Saxena

Vikram vicky 3.0 R Ojha Ravi Ranjan Kumar Kausik RAMA Goswami Lalit Saxena #कोट्स

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Babli BhatiBaisla

बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  R Ojha  Ashutosh Mishra  Sethi Ji  Vikram vicky 3.0  Lalit Saxena  Neel

R Ojha Ashutosh Mishra Sethi Ji Vikram vicky 3.0 Lalit Saxena Neel #कविता

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Babli BhatiBaisla

#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाला चाहिए 
सर्द हवाओं और कोहरे की जकड़ से छूटने को सहारा चाहिए 
बदल जाते हैं कड़कड़ाती धूप के भी तेवर पूस के बुढ़ापे में 
माह में नन्हे नन्हे कदमों से आएगी धूप फिर लुकाछिपी खेलने
फागुन आते आते धूप का पारा लगातार लग जाएगा बढ़ने 
चैत्र और बैसाख में तो फिर  से लग जाएगी ज्यादा अकड़ने 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla #5LinePoetry  R Ojha  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Lalit Saxena  Sethi Ji  Ashutosh Mishra  Mili Saha

#5LinePoetry R Ojha SIDDHARTH.SHENDE.sid Lalit Saxena Sethi Ji Ashutosh Mishra Mili Saha #कविता

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Babli BhatiBaisla

कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं 
आजकल चतुर सियार
इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं 
नित्य नए नए शिकार
अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब 
कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  चाँदनी  Ashutosh Mishra  R Ojha  Ravi Ranjan Kumar Kausik  SIDDHARTH.SHENDE.sid  पूजा सक्सेना ‘पलक’

चाँदनी Ashutosh Mishra R Ojha Ravi Ranjan Kumar Kausik SIDDHARTH.SHENDE.sid पूजा सक्सेना ‘पलक’ #शायरी

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Babli BhatiBaisla

सुयोग्य की कामना केवल सुयोग्य को शोभती है 
स्वयं का आंकलन भी महत्वपूर्ण है संबंधों के लिए
लज्जाहीन वाचालता संबंधों का  शोषण करती है 
दम्भ का मर्दन भी आवश्यक है स्वाभिमान के लिए
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla योग्य  R Ojha  Lalit Saxena  Vikram vicky 3.0  Ashutosh Mishra  Mili Saha  MoHiTRoCk F44

योग्य R Ojha Lalit Saxena Vikram vicky 3.0 Ashutosh Mishra Mili Saha MoHiTRoCk F44 #विचार

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Babli BhatiBaisla

सख्त है सैदेव ही जीवन की रीत
मिलती नहीं सखी कही ढूंढें भी प्रीत

कपट लीला रचकर स्वांग जाती है जीत
दोष दर्पण का बताती है चतुर चील
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Sharma_N  SIDDHARTH.SHENDE.sid  LiteraryLion  Neel  Dr Udayver Singh  Mili Saha

Sharma_N SIDDHARTH.SHENDE.sid LiteraryLion Neel Dr Udayver Singh Mili Saha #कविता

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Babli BhatiBaisla

सखी पगड़ी  ही ताज से कम नहीं 
पहन सकने का हरेक में होता दम नहीं
शौक़ शौक में पहनने वाले भागते देखे हैं 
मौन रहकर सज्जन बिगड़ी साधते देखें है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Lalit Saxena  Ashutosh Mishra  R Ojha  Mili Saha  Vikram vicky 3.0  KK क्षत्राणी

Lalit Saxena Ashutosh Mishra R Ojha Mili Saha Vikram vicky 3.0 KK क्षत्राणी #विचार

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Babli BhatiBaisla

वो गहरे जख्मों को देखकर मुंह मोड़ना 
हालातों को हद दर्जे भुलाकर छोड़ना 

महंगा पड़ेगा भेद के मूल तत्व को नहीं पहचानना
अपने लिए खड़े होने को भी बोझ जैसा  मानना 

वो अपने शैतान केलिए कुर्बानी नहीं छोड़ता 
और तू अपनी पहचान से भी रहता है मुंह मोड़ता

मेरे ही घर में पनाह मांग आंखें दिखाने वाले 
और पृथ्वीराज चौहान की आंखें जलाने वाले 

किस तरह से किसी भरोसे के लायक है
छीन लेंगे जर जमीन जोरू इतने नालायक है 

 केवल एकमात्र मौके की तलाश में है,,
आप किस महजब के विश्वास में है 

देखा है कश्मीरी पंडितों के प्रेम और सौहार्द का नतीजा 
 कुम्भकरणी नींद से और भी भयंकर हो जाएगा फजीता

सखी कम से कम छह महीने में तो जागता था कुंभकर्ण 
सैकुलर जयचंद छः सौ सालों से सपनों में करते विचरण 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla निजता  KK क्षत्राणी  R Ojha  Vikram vicky 3.0  Lalit Saxena  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Bhardwaj Only Budana

निजता KK क्षत्राणी R Ojha Vikram vicky 3.0 Lalit Saxena Ravi Ranjan Kumar Kausik Bhardwaj Only Budana #कविता

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