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कौन हैं वो जो मुझे मेरे ही अक्स से परिचय करवाता

कौन हैं वो जो मुझे मेरे ही 
अक्स से परिचय करवाता 
जा रहा हैं ,,,
दिन-रात मेंरे मन:स्थल में 
आहिस्ता -आहिस्ता परिवर्तन 
की बेल को सिंच रहा हैं,, 
मानों, नदीयों की कल-कल 
ध्वनि को प्रेम  का गीत 
बनाते जा रहा हैं,,
कौन हैं वो जो मुझे मेरे ही
अक्स से परिचय करवाता 
जा रहा हैं,, 
मंदिर के पवित्र शंख से
मेरे नयें जीवन का शंखनाद 
कर रहा हैं,, 
 मुझमें ही समाँ कर मुझे ही 
जीवन का रहस्य ज्ञात करवाता
 जा रहा हैं,,, 
विशाल समुंदर की गहराई -सी
जीवन के आरंभ से अंत का
आभास करवाता
 जा रहा हैं ,,,
प्रेम और मोह के मध्य स्थित 
मेरे ह्रदय को अपने मे ही 
समाहित करता 
जा रहा हैं,,,,, 
और मुझे ही अपने मन की कुटिया में
ले जाकर भवसागर के पार 
करवाता जा रहा हैं,, 
                    गीता शर्मा "प्रणय" कौन है#
कौन हैं वो जो मुझे मेरे ही 
अक्स से परिचय करवाता 
जा रहा हैं ,,,
दिन-रात मेंरे मन:स्थल में 
आहिस्ता -आहिस्ता परिवर्तन 
की बेल को सिंच रहा हैं,, 
मानों, नदीयों की कल-कल 
ध्वनि को प्रेम  का गीत 
बनाते जा रहा हैं,,
कौन हैं वो जो मुझे मेरे ही
अक्स से परिचय करवाता 
जा रहा हैं,, 
मंदिर के पवित्र शंख से
मेरे नयें जीवन का शंखनाद 
कर रहा हैं,, 
 मुझमें ही समाँ कर मुझे ही 
जीवन का रहस्य ज्ञात करवाता
 जा रहा हैं,,, 
विशाल समुंदर की गहराई -सी
जीवन के आरंभ से अंत का
आभास करवाता
 जा रहा हैं ,,,
प्रेम और मोह के मध्य स्थित 
मेरे ह्रदय को अपने मे ही 
समाहित करता 
जा रहा हैं,,,,, 
और मुझे ही अपने मन की कुटिया में
ले जाकर भवसागर के पार 
करवाता जा रहा हैं,, 
                    गीता शर्मा "प्रणय" कौन है#