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जख्म lसुना है कुछ कल रात मेरी मिट्टी मैं लहू बिख

जख्म
lसुना है कुछ कल रात  मेरी मिट्टी  मैं लहू बिखरा  पड़ा था
 कुछ की कानों तक गूंजी थीं आवाज़
 शहर शहर गली गली लोग  होठों कों  सील के बैठे  थे 
 क्योंकि लहुँ उनके शहर  का नही
 मेरी शहर का, ज़ख़्म उनके शहर का नहीं मेरे शहर कों मिले

©Rakhi  Gupta
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rakhigupta3359

Rakhi Om

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