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कट रहे हैं पेड़ सांस चाहिए अकेला हूं मैं किसी का स

कट रहे हैं पेड़ सांस चाहिए अकेला हूं मैं किसी का साथ चाहिए, साथ ढूंढते ढूंढते एक साथी मिल गई जैसे सितारों को चांदनी सी मिल गई चांदनी थी तब तक जब तक रात थी सवेरा होती ही वह भी बिछड़ गई फिर जहां से चले थे वहीं पर आ गए चांदनी की तलाश में कहते रहे गए अकेला हूं मैं किसी का साथ चाहिए अकेला हूं मैं किसी के साथ चाहिए।।

©Bindaas Yash
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