उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी।
अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्थ की थी वो पटरानी।।
एक बार की बात है, जब सम्राट युधिष्ठिर हस्तिनापुर में खेलने लगे जब वो चौसर।
मामा शकुनि की कपट चाल से, हार गए सब जो मिला था इनको अंतिम अवसर।।
कपटी भ्राता दुर्योधन ने छल के द्वारा, दिया पांडवों को फ़िर बारह बरस का वनवास।
एक वर्ष के अज्ञातवास में, लिए गए जो पहचान तो पुनः मिलेगी 12 बरस वनवास।।
पतिव्रता थी वो सत्यवती अखण्ड सौभाग्य, अग्नि सा समत #yqbaba#yqdidi#myquote#YourQuoteAndMine#yqquotes#openforcollab#collabwithmitali#द्रौपदी_वनवास