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सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नहीं कहते, आँ

सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नहीं कहते,
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी हैं !!

पहचानूं कैसे तुझको मेरी ज़िंदगी बता,
गुजरी है तू करीब से लेकिन नकाब में !!

वक़्त अच्छा ज़रूर आता है,
पर कभी वक़्त पर नहीं आता !!

अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा-थोड़ा !!

©Kumar Vinod
  ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा-थोड़ा !!

ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा-थोड़ा !! #शायरी

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