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लौट आओ हिन्द वासी बस गए क्यों छोंड़ अपना देश तुम पर

लौट आओ हिन्द वासी
बस गए क्यों छोंड़ अपना देश तुम परदेश में,
लौट आओ हिन्द वासी,क्या नही निज देश में।
त्याग कर सुंदर सदन तुम गए पैसे कमाने,
पेट की खातिर लगे गैरों के ही तुम गुणगान गाने।
ढल गए तुम वहीं जाकर वहीं के परिवेश में,
लौट आओ हिन्द वासी क्या  नही निज देश में।

©प्रभाकर अजय शिवा सेन
  लौट आओ हिन्द वासी।

लौट आओ हिन्द वासी। #Poetry

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