ज़माने में किसी से अब वफ़ाएँ कौन करता है
यहाँ सब ज़ख़्म देते हैं दवाएँ कौन करता है
गिला-शिकवा नहीं कोई मगर सब कुछ समझता हूँ
बुझाने को दिए मेरे हवाएँ कौन करता है
लुटा हो कारवाँ जिस का उजालों के इशारों से
अँधेरी रात चलने की ख़ताएँ कौन करता है #Shayari#Drown