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amitpunjabi4374
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dilkibaatwithamit

दौर कागजी था, देर तक खतों में मोहब्बत ज़िंदा रहती थी..😢 मशीनी दौर में उंगली से मिटा दी जातीं हैं, उम्र भर की यादें...

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dilkibaatwithamit

White आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है
ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है

ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें
रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं है

हँसता हुआ चेहरा है दमकता हुआ पैकर
गुज़रा हुआ ये मेरा ज़माना तो नहीं है

आँखों ने अभी नींद का दामन नहीं छोड़ा
ख़्वाबों से भरोसा अभी टूटा तो नहीं है

रस्ते में अमित' उस की तबीअ'त का बिगड़ना
घर जाने का इक और बहाना तो नहीं है

©dilkibaatwithamit आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है
ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है

ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें
रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं है

हँसता हुआ चेहरा है दमकता हुआ पैकर
गुज़रा हुआ ये मेरा ज़माना तो नहीं है

आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं है हँसता हुआ चेहरा है दमकता हुआ पैकर गुज़रा हुआ ये मेरा ज़माना तो नहीं है #SAD #शायरी

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dilkibaatwithamit

White दर्द की लय को बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
और इस दिल को दुखा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

हौसला जीने का होता है पर इतना भी नहीं
मुझ को इस की भी सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

साया बन कर मैं सलीबों से उतर आया हूँ
अब कोई और सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

आंसुओ की धारा आँखों से बहती ही रहेगी 'अमित'
आख़िरी शम्अ' बुझा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

©dilkibaatwithamit दर्द की लय को बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
और इस दिल को दुखा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

हौसला जीने का होता है पर इतना भी नहीं
मुझ को इस की भी सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

साया बन कर मैं सलीबों से उतर आया हूँ
अब कोई और सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

दर्द की लय को बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी और इस दिल को दुखा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी हौसला जीने का होता है पर इतना भी नहीं मुझ को इस की भी सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी साया बन कर मैं सलीबों से उतर आया हूँ अब कोई और सज़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी #शायरी #sad_quotes

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dilkibaatwithamit

White तुम कभी मेरी तरह बर्बाद हो कर देखना
मैं ने जो इक उम्र देखा उस को पल भर देखना

आँख की ख़ामोशियों में कितने तूफ़ाँ हैं छुपे
एक मौज-ए-याद बस और फिर वो मंज़र देखना

to be continue.....

©dilkibaatwithamit तुम कभी मेरी तरह बर्बाद हो कर देखना
मैं ने जो इक उम्र देखा उस को पल भर देखना

आँख की ख़ामोशियों में कितने तूफ़ाँ हैं छुपे
एक मौज-ए-याद बस और फिर वो मंज़र देखना


#Thinking  हिंदी शायरी शायरी दर्द खूबसूरत दो लाइन शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी'

तुम कभी मेरी तरह बर्बाद हो कर देखना मैं ने जो इक उम्र देखा उस को पल भर देखना आँख की ख़ामोशियों में कितने तूफ़ाँ हैं छुपे एक मौज-ए-याद बस और फिर वो मंज़र देखना #Thinking हिंदी शायरी शायरी दर्द खूबसूरत दो लाइन शायरी शायरी 'दर्द भरी शायरी'

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dilkibaatwithamit

मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला
क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला

जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है
फिर तेरे साथ भी अच्छा नहीं होने वाला

आप कहते हो, तो फिर आपके कह लेने से
मेरा किरदार तो गंदा नहीं होने वाला

फिर भी ऐसा नहीं होता कि क़दम रुक जाएँ
जबकि आसान भी रस्ता नहीं होने वाला

चाहे क्यूँ न मैं सियासत पे ग़ज़ल लिखता हूँ 
पर मैं नेताओं का चमचा नहीं होने वाला

जिसके चलते मेरी नज़रों में मैं ख़ुद गिर जाऊँ
काम मुझसे कोई ऐसा नहीं होने वाला

देख लेना कि वो आरिज़ जो हुआ न मेरा
फिर ये अनवर भी किसी का नहीं होने वाला
... अनवर क़ुरैशी

©dilkibaatwithamit मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला
क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला

जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है
फिर तेरे साथ भी अच्छा नहीं होने वाला

आप कहते हो, तो फिर आपके कह लेने से
मेरा किरदार तो गंदा नहीं होने वाला

मैं किसी का, कोई मेरा नहीं होने वाला क्योंकि ग़ुस्सा मेरा ठंडा नहीं होने वाला जब मेरे साथ तू हर रोज़ बुरा करता है फिर तेरे साथ भी अच्छा नहीं होने वाला आप कहते हो, तो फिर आपके कह लेने से मेरा किरदार तो गंदा नहीं होने वाला #शायरी

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dilkibaatwithamit

White किसी ने प्रेम गुलाबी लिखा,
कोई कहे रंग धानी है।

किसी ने सुर्ख़ लाल बताया ,
कोई  कहे आसमानी है।

कोई रीझे साँवली सूरत पर 
गौरे रंग का कोई सवाली है।

किसी ने देह गोलाइयाँ देखी
कुछ लोग कहें नादानी है।

तुम से हम बिछड़े तो जाना,
प्रेम आँखों का पानी है।।

©dilkibaatwithamit किसी ने प्रेम गुलाबी लिखा,
कोई कहे रंग धानी है।

किसी ने सुर्ख़ लाल बताया ,
कोई  कहे आसमानी है।

कोई रीझे साँवली सूरत पर 
गौरे रंग का कोई सवाली है।

किसी ने प्रेम गुलाबी लिखा, कोई कहे रंग धानी है। किसी ने सुर्ख़ लाल बताया , कोई कहे आसमानी है। कोई रीझे साँवली सूरत पर गौरे रंग का कोई सवाली है। #लव #love_shayari

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dilkibaatwithamit

White मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी
जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी

हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से
कहीं जाना नहीं जाने की तय्यारी नहीं करनी

हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर
यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी

ग़ज़ल को कम-निगाहों की पहुँच से दूर रखता हूँ
मुझे बंजर दिमाग़ों में शजर-कारी नहीं करनी

©dilkibaatwithamit मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी
जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी

हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से
कहीं जाना नहीं जाने की तय्यारी नहीं करनी

हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर
यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी

मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी जिंदगी की कहानी में अदाकारी नहीं करनी हवा के ख़ौफ़ से लिपटा हुआ हूँ ख़ुश्क टहनी से कहीं जाना नहीं जाने की तय्यारी नहीं करनी हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी #Thinking #शायरी

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dilkibaatwithamit

वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई,
मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई....

मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब,
वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ...

शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे,
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई...

कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे,
और आज ये बात दोहरा दोहरा कर रोई...

मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला है ये,
लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोई...

कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों,
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोई...❤️

©dilkibaatwithamit वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई,
मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई....

मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब,
वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ...

शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे,
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई...

वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई, मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई.... मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब, वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ... शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे, वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई... #शायरी

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dilkibaatwithamit

तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया!

©dilkibaatwithamit तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया
दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया

जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं
मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया

मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे
तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया! शेरो शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude

तुम से न मिल के ख़ुश हैं वो दावा किधर गया दो रोज़ में गुलाब सा चेहरा उतर गया जान-ए-बहार तुम ने वो काँटे चुभोए हैं मैं हर गुल-ए-शगुफ़्ता को छूने से डर गया मैं भी समझ रहा हूँ कि तुम तुम नहीं रहे तुम भी ये सोच लो कि मिरा अमित मर गया! शेरो शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude

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dilkibaatwithamit

इतनी शिद्दत से गले मुझ को लगाया हुआ है
ऐसा लगता है कि वक़्त आख़िरी आया हुआ है

अब के होली पे लगा रंग उतरता ही नहीं
किस ने इस बार हमें रंग लगाया हुआ है

©dilkibaatwithamit इतनी शिद्दत से गले मुझ को लगाया हुआ है
ऐसा लगता है कि वक़्त आख़िरी आया हुआ है

अब के होली पे लगा रंग उतरता ही नहीं
किस ने इस बार हमें रंग लगाया हुआ है


#Holi #Advance  Hinduism

इतनी शिद्दत से गले मुझ को लगाया हुआ है ऐसा लगता है कि वक़्त आख़िरी आया हुआ है अब के होली पे लगा रंग उतरता ही नहीं किस ने इस बार हमें रंग लगाया हुआ है #Holi #Advance Hinduism #कविता

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dilkibaatwithamit

White हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे

गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज
खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे

हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का
उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे

चलन था सब के ग़मों में शरीक रहने का
अजीब दिन थे अजब सर-फिरे ज़माने थे

©dilkibaatwithamit हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे

गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज
खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे #शायरी

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