उनको मालूम हो उनके तश्वीर से काम चल रहा है किस तरह उनकी यादो मे बेगाना दिल जल रहा है अब तक जो भी हासिल है सब खाक है मेरे लिए नही खबर उनको किस तरह मोहब्बत पल रहा है कलम,किताब,कविता,अकेलापन ये सब है मेरे पास न जाने क्यो फिर भी जिगर नई चाहत मे ढ़ल रहा है जब से देखी है तेरी झील सी आँखो की शरारत मेरी साँसे उस झील की ओर ही चल रहा है कानो-कानों लगी है खबर तुम अनजान हो *लड्डू* नही मालूम है तुमको जमाना किस तरह जल रहा है ✍🏻 *लड्डू* ग़ज़ल के कुछ शेर आपके समातो के हवाले....