एक मुद्दत से नहीं गाँव में नज़र आये हैं रोज़ी रोटी के लिये छोड़ के घर आये हैं चल रही हैं ज़िन्दगी बस किश्तों के भरोसे, इन्ही रास्तो से चलकर हम शहर आये हैं . ©Prakash writer05 एक मुद्दत से नहीं गाँव में नज़र आये हैं रोज़ी रोटी के लिये छोड़ के घर आये हैं चल रही हैं ज़िन्दगी बस किश्तों के भरोसे, इन्ही रास्तो से चलकर हम शहर आये हैं . मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स