इन इच्छाओ से, सदा खड़ी रहती है मुह फैलाये, एक के बाद एक, फिर भी, कोई भीतर की, उन गहरी आवाज़ों को नही सुनपाता जो निरंतर बुलाती रहती है, भीतर की ओर, सृष्टि के स्रोत की ओर..... स्वयं की ओर.... आनंदघन, परमात्मा की ओर... और जो सुनता है, पार पा जात कभी ना दिल भरने वाली इन अतृप्त इच्छाओ से । सुप्रभात। दिल नहीं भरता ज़िन्दगी से। हर हाल में जीने का मन करता है। #दिलनहींभरता #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #आत्ममंथन #कविता #हिंदीकविता #आत्मबोध #आत्मज्ञान