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मन बाँवरा जाने कल से क्या हाल हुआ है,  जाने कब स

मन बाँवरा 

जाने कल से क्या हाल हुआ है,  जाने कब से सोया हूँ ।

रात-दिन अब ख़्वाब मैं देखूँ, इस कदर सा तुझमें खोया हूँ ।।

जग जाने को तो जी है चाहे, पर सामने मुखड़ा तेरा आ जाता है ।

चल फिर से इक और ख़्वाब देख लूँ, दिल मुझको फ़िर से राज़ी कर जाता है ।।

तुम तो ऐसे मुझपर हावी हो, जैसे दिल पर किसी का जोर नहीं ।

ये मस्त रात भी तो ना जाना चाहे, पर सूरज पर किसी का जोर नहीं ।।

इक वन सी लगती स्याह आँखें तेरी, जब तकता इनमें खो जाता हूँ ।

मैं नरम गुब्बारे सा बना हुआ, तेरे इक स्पर्श आभास मात्र से फौरन हीं फुट जाता हूँ ।।

मैं जब भी पढ़ने को खोलूं पुस्तक, नज़र तू उसमें आने लगती है ।

ना जाने उससे कब मिटा सब लेख, हर पन्ने में बस बातें तेरी हीं दिखती हैं ।।

मैं सोचूं हर पल कुछ नया लिखूँ, पर शायद मेरी कलम भी तेरी दीवानी है ।

लिखता मैं हूँ दुनियाँ की बातें, पर ये पगली बस ज़िन्दग़ी हीं लिख जाती है ।।

मैं दरिया का बहता पानी, उस घाट पे आके मिलता हूँ।।

तू अब भी गंगा घाट वहीं, बनारसिया जिसे मैं कहता हूँ ।

जाने जग का क्या हाल हुआ, ना जाने कब से मैं सोया हूँ  ।

दिल को मेरे कुछ आभास नहीं, मैं तो ऐसा तुझमें खोया हूँ ।।


राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी मन बाँवरा
मन बाँवरा 

जाने कल से क्या हाल हुआ है,  जाने कब से सोया हूँ ।

रात-दिन अब ख़्वाब मैं देखूँ, इस कदर सा तुझमें खोया हूँ ।।

जग जाने को तो जी है चाहे, पर सामने मुखड़ा तेरा आ जाता है ।

चल फिर से इक और ख़्वाब देख लूँ, दिल मुझको फ़िर से राज़ी कर जाता है ।।

तुम तो ऐसे मुझपर हावी हो, जैसे दिल पर किसी का जोर नहीं ।

ये मस्त रात भी तो ना जाना चाहे, पर सूरज पर किसी का जोर नहीं ।।

इक वन सी लगती स्याह आँखें तेरी, जब तकता इनमें खो जाता हूँ ।

मैं नरम गुब्बारे सा बना हुआ, तेरे इक स्पर्श आभास मात्र से फौरन हीं फुट जाता हूँ ।।

मैं जब भी पढ़ने को खोलूं पुस्तक, नज़र तू उसमें आने लगती है ।

ना जाने उससे कब मिटा सब लेख, हर पन्ने में बस बातें तेरी हीं दिखती हैं ।।

मैं सोचूं हर पल कुछ नया लिखूँ, पर शायद मेरी कलम भी तेरी दीवानी है ।

लिखता मैं हूँ दुनियाँ की बातें, पर ये पगली बस ज़िन्दग़ी हीं लिख जाती है ।।

मैं दरिया का बहता पानी, उस घाट पे आके मिलता हूँ।।

तू अब भी गंगा घाट वहीं, बनारसिया जिसे मैं कहता हूँ ।

जाने जग का क्या हाल हुआ, ना जाने कब से मैं सोया हूँ  ।

दिल को मेरे कुछ आभास नहीं, मैं तो ऐसा तुझमें खोया हूँ ।।


राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी मन बाँवरा
nojotouser6137488637

Raone

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मन बाँवरा #कविता