उसके संग रातें इतनी दुश्वार तो नही थी वो लड़की कही मेरा प्यार तो नही थी वो बातें वो होठ,वो जुल्फे वो रात,वो निगाहें वो आँख वो लड़की कही परीदार तो नही थी मेरी कहानी उसके आगे क्यों नही बढ़ती वो मेरे कहानी का जार तो नही थी उसके साथ ये दुनिया जन्नत लगती थी ख़ुदा के नाम मे वो शुमार तो नही थी -(क्षत्रियंकेश) परीदार!