मान लूँ कैसे बात तुम्हारी, समझो मेरी भी लाचारी, उड़ने को पर मिला है लेकिन, सबकी अपनी जिम्मेवारी, एक-दूजे की हिम्मत बनकर, कर लो मंज़िल की तैयारी, उम्मीदों का बाग लगाकर, खिले सदा पुष्प बन क्यारी, नफ़रत मिटे प्रेम अपनाओ, मदद करेंगे ख़ुद गिरिधारी, झुकना क्या माया के आगे, सच की अद्भुत है खुद्दारी, चलो समय से कदम मिलाकर, सारी दुनिया वक़्त की मारी, करो आत्म अवलोकन गुंजन, माया का मत बनो पुजारी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मान लूँ कैसे बात तुम्हारी#