" कुछ बात मुमकिन हो तो कुछ बात बताया जा सके , अजनबी तुझसे जो मिलता हूं नजरों का हाल जताया जाये , कुछ बात ठहरी सी सहमी सी है तेरे फासलों का जो भी सफर , आज नहीं तो कल ऐसे आज-कल में साफ-साफ बताया जा सके ." --- रबिन्द्र राम " कुछ बात मुमकिन हो तो कुछ बात बताया जा सके , अजनबी तुझसे जो मिलता हूं नजरों का हाल जताया जाये , कुछ बात ठहरी सी सहमी सी है तेरे फासलों का जो भी सफर , आज नहीं तो कल ऐसे आज-कल में साफ-साफ बताया जा सके ." --- रबिन्द्र राम #मुमकिन #अजनबी #नजरों #हाल #ठहरी #सहमी #फासलों