दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा।। वक़्त वक्त की बात है, जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा। फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा, हर शख़्स को आख़िर मिट जाना होगा। जिनके कदमों से ज़माना कांपता था कभी, उनका निशां भी धूल में मिल जाना होगा। हर खुशी, हर ग़म, बस लम्हों की बात है, इस खेल में हर किरदार बदल जाना होगा। ©नवनीत ठाकुर #दरवाज़ों पर नाम बदलते रहेंगे सदा, आज मेरा है, कल तेरा फ़साना होगा। मिट्टी का हर शख़्स यहां मुसाफ़िर पुराना होगा, हर सफर की मंज़िल यही ठिकाना होगा। वक़्त वक्त की बात है जो बुलंद था, वो भी गिराना होगा। फलक के नीचे सबका मुक़द्दर एक सा,