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navneetthakur2246
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नवनीत ठाकुर

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नवनीत ठाकुर

राधे राधे  अंत से अनंत की ओर, यह यात्रा सुगंध बन जाए,
बूंद सागर में मिले ऐसे, कि लहरों में छंद बन जाए।

बूंद का क्या अस्तित्व, जब तक वह अलग है सागर से,
खोकर जो खुद को पा ले, वही मिलन है ईश्वर से।

अहंकार के बंधन टूटें, बह जाए हर इक दीवार,
आत्मा जब परमात्मा हो, तब हो सच्चा साकार।

जहाँ न मैं, न तू रहे, बस मौन का विस्तार हो,
शून्यता में भी प्रेम जगे, और सत्य का संचार हो।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

देखने में तो एक हैं, पर रूहें  हैं जुदा,
एक जैसे चेहरे मगर बातें अलग  हैं अदा।

आईनों में अक्स हैं पर मिज़ाज जुदा,
दिल के रास्ते हैं अलग, पर साथ सदा।







एक जैसी हँसी, एक जैसी हैं आँखें,
मगर सपने हैं अलग, अलग हैं राहें।

©नवनीत ठाकुर #जुड़वा
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नवनीत ठाकुर

White राहों में जख्मों का सिलसिला चलता रहा,
तुम दूर गईं, और मैं वक्त की धारा में बहता रहा।

कभी ख़ामोशी, कभी लफ्ज़ों का घाव था,
तुमने ना समझा, लेकिन दिल में तुझसे प्यार था।

मेरी तन्हाई ने सूरतें भी बदल दीं,
तुमसे मिलने के ख्वाबों में ही दुनिया सिमट दी।

जो मैं न कह सका, वो ग़मों का गहरा राज था,
तुमने न समझा, पर दिल में हमेशा तुम्हारा प्यार था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White तेरी चुप्पी भी थी किसी राज़ से कम नहीं,
मेरी ख़ामोशी भी थी इक गहरी मिसाल।

तू दूर था, फिर भी पास था कहीं,
मैं पास था, फिर भी सूनापन था बेहिसाब।

कभी तेरी जुदाई में सुकून ढूँढा,
कभी तेरी नज़दीकी में तन्हाई मिली।

मेरा ढंग था जैसे एक अधूरी दुआ,
तेरा मिज़ाज था जैसे एक बेमिसाल किताब।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White कभी चाहत में अश्क़ बहाए,
कभी सब्र की लौ जला दी।
तूने भी सख़्ती में हद कर दी,
हमने भी उम्मीदें मिटा दी।

इश्क़ में कोई शिकस्त नहीं है,
बस खेल है तक़दीर का सारा।
तू भी अजब ढंग से दूर बैठा,
मैं भी अजब ढंग से हारा।

तेरा भी मिज़ाज अजब ही निकला,
मेरा भी जीने का ढंग अजब पुराना।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White वक़्त का कोई एतबार नहीं है,
हर लम्हे में ख़ुशियों को जागते रहिए।
जो हासिल है, उसी को मुक़द्दर समझिए,
ग़मों से परे मुस्कुराते रहिए।

ज़िंदगी की राहों में ठहरना नहीं,
अपने होसले को झुकने देना नहीं।
ख़्वाबों को परवाज़ बख़्शते रहिए,
हर पल को जीने की आदत बनाते रहिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White किसे रहना है यहां आखिर तक,
हर कोई मुसाफिर है सफर तक।
आखिर सबको शहर से चले ही तो जाना है,
बस यादों के नक्श यहां छोड़ जाना है।

शहर नया है, कुछ दोस्त बनाते रहिए,
दिल के दरवाज़े हरदम खुलाते रहिए।
रिश्तों की रौशनी सदा जलाते रहिए,
हर अजनबी को अपना बनाते रहिए।

वक्त का कोई भरोसा नहीं है,
हर पल में ख़ुशियों को जगाते रहिए।
जीवन की इस दौड़ में रुक मत जाना,
सपनों के परों को उड़ाते रहिए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White उड़ान जितनी भी ऊँची हो परिंदे की,
आसरा उसे भी दरख़्तों का चाहिए।
ख्वाब चाहे छू लें आसमान का किनारा,
 हकीकत को हमेशा ज़मीन का सहारा चाहिए।

हवा में रहना फितरत है परिंदों की,
मगर जड़ों से बिछड़ना उसने सबसे बड़ी कीमत दी।
जिंदगी के हर सफर में यही है सबक,
ऊँचाई हो जितनी, ज़मीं को भूलना मुनासिब नहीं।

चले हैं सितारों से आगे निकलने को,
पर जमीं से बंधी डोर संभालना जरूरी है।
हर परवाज़ की अपनी एक हद होती है,
इसलिए जड़ों का एहसास हर पल जरूरी है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White ज़िंदगी के सफ़र में जो दर्द सहा, वो अब कहानी बन गया,
हर आँसू जो गिरा था कभी, अब वो पानी बन गया।

माँ की दुआओं का असर है, जो रास्ते रौशन हुए,
तुम्हारे ख्यालों से हर वीरान लम्हा गुलशन हुए।

कभी जो खोए हुए थे हम, अब खुद को पा लिया,
हर जख़्म पर मोहब्बत का मरहम लगा लिया।

तुम्हारी यादों ने दिया सुकून, जो किसी ने न दे पाया,
उस एहसास ने दिल को फिर से एक नया आसमां दिखाया।

जो आँधियों में बुझ रहा था, वो दीपक फिर से जल गया,
खुद को खोकर भी कहीं, मैं खुद को फिर से मिल गया।

अब इन राहों में भरोसा है, और हर कदम पर रोशनी,
जिंदगी ने सिखा दिया, हर अंधेरे के बाद होती है चांदनी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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नवनीत ठाकुर

White ज़िंदगी के हर उस पल ने मुझे आजमाया है,
जो टूटने पर भी मुझे और मजबूत बनाया है।

हर दर्द, हर आँसू का अब एक नया मतलब है,
वो वक़्त सिखा गया कि ज़ख्म भी कभी सबक है।

माँ की दुआओं ने हर मुश्किल से बचा लिया,
और तुम्हारी यादों ने हर सूनेपन को सजा दिया।

जो बुझते दिए से थे, अब वो सूरज बन गए,
जो ख्वाब अधूरे थे, अब वो पूरे बन गए।

हर हार में छुपा था एक जीत का इशारा,
अब कदम बढ़ते हैं, बिना किसी सहारा।

इस सफ़र में जो भी था, वो अपना सा हो गया,
ज़िंदगी का हर मोड़, अब सपना सा हो गया।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
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