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महात्मा आओ बारम्बार न तुमने ली तलवार, न पहना गोली

महात्मा आओ बारम्बार
न तुमने ली तलवार, न पहना गोली हार।
न बाँधी कमर कटार,केवल सत्याग्रह आधार।।
सत्य का तेरा जीवन, अहिंसा हृदय अपार।
दीन-दुखी को तुमने, बनाया गले का हार।।
जेल था तेरा आँगन, आँगन में माँ का प्यार।
जनता से कहते थे, गुलामी न स्वीकार।।
तेरे नये भारत का सपना,नहिं हो पाया साकार।
जन्म सदा भारत में लेना,जन-जन करे पुकार।।
महात्मा आओ बारम्बार।।

©Subhash Singh #ठा सुभाष सिंह, कटनी म.प्र

#gandhijayanti
महात्मा आओ बारम्बार
न तुमने ली तलवार, न पहना गोली हार।
न बाँधी कमर कटार,केवल सत्याग्रह आधार।।
सत्य का तेरा जीवन, अहिंसा हृदय अपार।
दीन-दुखी को तुमने, बनाया गले का हार।।
जेल था तेरा आँगन, आँगन में माँ का प्यार।
जनता से कहते थे, गुलामी न स्वीकार।।
तेरे नये भारत का सपना,नहिं हो पाया साकार।
जन्म सदा भारत में लेना,जन-जन करे पुकार।।
महात्मा आओ बारम्बार।।

©Subhash Singh #ठा सुभाष सिंह, कटनी म.प्र

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Subhash Singh

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