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खिलना चाहती है :- न तोड़ो कुसुम कली, खिलना चाहती

खिलना चाहती है :-

न तोड़ो कुसुम कली, खिलना चाहती है,
खिल-खिला, जहां से मिलना चाहती है।

नन्हे से क़दम ज़मीं पे रखना चाहती है।
मां की उंगली पकड़! चलना चाहती है।

रस्म-ओ-रिवाज के नाम पे हुई शिकार,
पुराने हैं ज़ख्म कई! सिलना चाहती है।

अंधेरे गर्भ से इस जहां को रौशन करने,
सूर्य किरण सी वो!निकलना चाहती है।

मलीन,दूषित,दुराचारी चलन से लड़ के!
हाथों की छुवन से फिसलना चाहती है।

जिस राह चल शोषण हुआ नारियों का,
उस डगर से न कभी गुजरना चाहती है।

जो बने पांव की बेड़ियां, काट वो जंजीर,
आत्मरक्षा को रिवायतें बदलना चाहती है।

अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️

©Archana Tiwari Tanuja
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#Nojoto #MyThoughts 
25/08/2023