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उदासी मेरी कितनी काम आ रही है रोज एक ग़ज़ल अब कही

उदासी मेरी कितनी काम आ रही है
रोज एक ग़ज़ल अब कही जा रही है।।

भूल जाता हूं दिन में हर ज़ख्म तेरे
ये जुदाई हर रात फिर सही जा रही है।।

सब कहते हैं तेरा घाव भर जाएगा
चरागिरी यूं तब से करी जा रही है।।

राहतें हज़ार हैं यूं तो दिल को तेरे सिवा
कमी इक दिल को तेरी खली जा रही है।।

मुक्कमल जिंदगी में सब कुछ है रवि  लेकिन 
ज़िन्दगी मुकम्मल से आधी ही जीई जा रही है

©Ravi Sharma
  उदासी मेरी कितनी काम आ रही है
रोज एक ग़ज़ल अब कही जा रही है।।

भूल जाता हूं दिन में हर ज़ख्म तेरे
ये जुदाई हर रात फिर सही जा रही है।।

सब कहते हैं तेरा घाव भर जाएगा
चरागिरी यूं तब से करी जा रही है।।
ravisharma5699

Ravi Sharma

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उदासी मेरी कितनी काम आ रही है रोज एक ग़ज़ल अब कही जा रही है।। भूल जाता हूं दिन में हर ज़ख्म तेरे ये जुदाई हर रात फिर सही जा रही है।। सब कहते हैं तेरा घाव भर जाएगा चरागिरी यूं तब से करी जा रही है।। #शायरी

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