#KargilVijayDiwas ये कैसा षड्यंत्र है देखो तो? कहने को तो है ये प्रजातंत्र जहाँ प्रजा पिस रही और नेता फूंक जाता हर रोज नया जुमला नया मंत्र पर आदमी भी अब कहा रहा है आदमी वो भी बन कर रह गया है एक यंत्र यत्र तत्र सर्वत्र सब तरफ दिख रहे है यंत्र न रहा प्रेम न श्रद्धा न भाईचारा ढूंढ़ने से भी नहीं मिलपाता इस देश का जनतंत्र #जनतंत्र.......