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शाम ढली चिराग़ बुझे अँधेरा नहीँ सैलाब आया मुझे रुल

शाम ढली चिराग़ बुझे अँधेरा नहीँ सैलाब आया 
मुझे रुलाने फ़िर से तू नहीँ तेरा एक ख़्वाब आया 

अब वो परिंदे किसी औऱ दरख़्त क़ी छांव में रह रहे हैँ 
जो कहते थे हम जां देंगे ग़र तेरा सवाल आया 

अब तू जा औऱ मेरी तस्वीर क़े साये में रातें काट 
तेरे हर जख़्म क़ो आँसुओं क़े दरिया में डाल आया shivani Shirley Kapoor Gitanjali Das khushi kumawat.. 😊 Ritika suryavanshi
शाम ढली चिराग़ बुझे अँधेरा नहीँ सैलाब आया 
मुझे रुलाने फ़िर से तू नहीँ तेरा एक ख़्वाब आया 

अब वो परिंदे किसी औऱ दरख़्त क़ी छांव में रह रहे हैँ 
जो कहते थे हम जां देंगे ग़र तेरा सवाल आया 

अब तू जा औऱ मेरी तस्वीर क़े साये में रातें काट 
तेरे हर जख़्म क़ो आँसुओं क़े दरिया में डाल आया shivani Shirley Kapoor Gitanjali Das khushi kumawat.. 😊 Ritika suryavanshi