उसकी निगाहे नाज़ को मंज़र बाना दिया मेरी निगाहे शौक़ को नाज़िर बना दिया सोचा था घर बनाकर बैठूं गा मैं सुकं से मुझ को ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना दिया था नाम जिसका मुंसिफ कहते थे जिसको जज दौलत की खाव्हि़शों ने उसेे ताजिर बना दिया किस्मत की बेरुखी़ का मूझ को गिला नहीं मुझ को तो तेरे तंज़ ने लागर बना दिया थी बेटियों की इज्जत कभी पाक मिस्ले गंगा जिंसी हवस ने उस को जमो साग़र बना दिया मुझे क्या गरज़ गुनह से मेरी पाक है तबीय़त इन्हीं पाकियों ने मिलकर मुझे ता़हिर बना दिया गमे ज़िंदगी में पिन्हां हैं ज़िन्दगी की राहें गमे ज़िन्दगी ने मुझ को शायर बना दिया क्यों नाज़ ना हो मुझको अपने वजूद पर जब मेरे ख़ुदा ने आतिफ मुझे अख्तर बना दिया #nojoto#poem#azar#shayari#quotes