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उसकी निगाहे नाज़ को मंज़र बाना दिया मेरी निगाहे श

उसकी निगाहे नाज़ को मंज़र बाना दिया 
मेरी निगाहे शौक़ को नाज़िर बना दिया

सोचा था घर बनाकर बैठूं गा मैं सुकं से 
मुझ को ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना दिया
 
था नाम जिसका मुंसिफ कहते थे जिसको जज
दौलत की खाव्हि़शों ने उसेे ताजिर बना दिया

किस्मत की बेरुखी़ का मूझ को गिला नहीं 
मुझ को तो तेरे तंज़ ने लागर बना दिया 

थी बेटियों की इज्जत कभी पाक मिस्ले गंगा
जिंसी हवस ने उस को जमो साग़र बना दिया 

मुझे क्या गरज़ गुनह से मेरी पाक है तबीय़त
इन्हीं पाकियों ने मिलकर मुझे ता़हिर बना दिया

गमे ज़िंदगी में पिन्हां हैं ज़िन्दगी की राहें
गमे ज़िन्दगी ने मुझ को शायर बना दिया

क्यों नाज़ ना हो मुझको अपने वजूद पर
जब मेरे ख़ुदा ने आतिफ मुझे अख्तर बना दिया Internet Jockey Havaruni Dueby Bina Babi Divya Joshi Sahiba Sridhar 
#nojoto#poem#azar#shayari#quotes
उसकी निगाहे नाज़ को मंज़र बाना दिया 
मेरी निगाहे शौक़ को नाज़िर बना दिया

सोचा था घर बनाकर बैठूं गा मैं सुकं से 
मुझ को ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना दिया
 
था नाम जिसका मुंसिफ कहते थे जिसको जज
दौलत की खाव्हि़शों ने उसेे ताजिर बना दिया

किस्मत की बेरुखी़ का मूझ को गिला नहीं 
मुझ को तो तेरे तंज़ ने लागर बना दिया 

थी बेटियों की इज्जत कभी पाक मिस्ले गंगा
जिंसी हवस ने उस को जमो साग़र बना दिया 

मुझे क्या गरज़ गुनह से मेरी पाक है तबीय़त
इन्हीं पाकियों ने मिलकर मुझे ता़हिर बना दिया

गमे ज़िंदगी में पिन्हां हैं ज़िन्दगी की राहें
गमे ज़िन्दगी ने मुझ को शायर बना दिया

क्यों नाज़ ना हो मुझको अपने वजूद पर
जब मेरे ख़ुदा ने आतिफ मुझे अख्तर बना दिया Internet Jockey Havaruni Dueby Bina Babi Divya Joshi Sahiba Sridhar 
#nojoto#poem#azar#shayari#quotes