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बाल भी खुले हैं आंखों में काजल भी लगा रखा है तेरे

बाल भी खुले हैं आंखों में काजल भी लगा रखा है
तेरे कानों के झुमकों ने तो पागल ही बना रखा है


और पर्दा भी किया है उसने बड़े सलीके का
जो बड़ी कातिल निगाहें है उसने उन्ही को खुला रखा है


और कयामत है उसका नूर ए हुस्न पर तिल
उसने रुखसार पर दरवान बैठा रखा है


वो बेदर्दी ही भूल गया रास्ता मेरे घर का 
हमने आज भी उसके लिए दिल का दरवाजा खुला रखा है


जो सोचते हैं उससे बिझड़ कर हम ख़ाक हो गए
वो आ कर देख लें, राख के ढेर में अंगार दबा रखा है

©Bhuvnesh Chakrawal
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