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ठोकर खाकर खाकर ज़िंदगी से लड़कर हार गई हूं मै, कुछ

ठोकर खाकर खाकर ज़िंदगी से लड़कर हार गई हूं मै,
कुछ पाने की इच्छा नई है यूं हीं बिगड़ गई है जिंदगी । रिश्तों के धागे कच्चे रहे गाए है। उलझनों को सुलझाते  सुलझाते थक गई हूं मै ।
हिम्मत हार कर बैठी हूं लगता है बिगड़ गई है जिंदगी मेरी.।।

©Nisha Chauhan
  indu singh Nidhi Nautiyal