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1. अर्जित ज्ञान सिर्फ दूसरों को बांटने की जगह इंसा

1. अर्जित ज्ञान सिर्फ दूसरों को बांटने की जगह इंसान
अपने जीवन में उतार ले तो उसका कल्याण तो होगा ही साथ ही वह प्रशंसा का पात्र भी बनेगा।

2. दूसरों को अच्छाई का पाठ पढ़ाना आसन होता है
लेकिन उसी अच्छाई को खुद अपनाना कठिन। 
इसलिए पहले स्वयं नेक बनो फिर नेकी का पाठ पढ़ाओ।

3. आजकल अधिकतर इंसान अपने चेहरे पर दूसरा लगा कर घूमता है। पहचानना मुश्किल हो गया है।

4. शुक्र है कि ईश्वर दुर्लभ हैं वर्ना सुलभ होते तो
उनकी भी इंसान कद्र नहीं करता। मांग की लिस्ट
इतनी लंबी होती कि कृपासिंधु भी सोंच में पड़ जाते
कि मैंने क्या कर डाला।

©नागेंद्र किशोर सिंह # कटु सत्य
1. अर्जित ज्ञान सिर्फ दूसरों को बांटने की जगह इंसान
अपने जीवन में उतार ले तो उसका कल्याण तो होगा ही साथ ही वह प्रशंसा का पात्र भी बनेगा।

2. दूसरों को अच्छाई का पाठ पढ़ाना आसन होता है
लेकिन उसी अच्छाई को खुद अपनाना कठिन। 
इसलिए पहले स्वयं नेक बनो फिर नेकी का पाठ पढ़ाओ।

3. आजकल अधिकतर इंसान अपने चेहरे पर दूसरा लगा कर घूमता है। पहचानना मुश्किल हो गया है।

4. शुक्र है कि ईश्वर दुर्लभ हैं वर्ना सुलभ होते तो
उनकी भी इंसान कद्र नहीं करता। मांग की लिस्ट
इतनी लंबी होती कि कृपासिंधु भी सोंच में पड़ जाते
कि मैंने क्या कर डाला।

©नागेंद्र किशोर सिंह # कटु सत्य