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पुरानी आलमारी से, स्कूल के दिनों के कुछ जीर्ण-शीर्

पुरानी आलमारी से,
स्कूल के दिनों के कुछ जीर्ण-शीर्ण किताब निकले,
किताब क्या थे,कहिए कि 
मुस्कुराते बचपन के बिसरे ख्वाब निकले,
गर्द भरे पीले पन्नों से,
नादान ख्वाहिशों के सूखे महकते गुलाब निकले,
जी चाहा,अंधेरे में ठंडी राख से 
आज फिर कोई माहताब निकले।
 पुरानी आलमारी से,स्कूल के दिनों के कुछ जीर्ण-शीर्ण किताब निकले,
किताब क्या थे,कहिए कि मुस्कुराते बचपन के बिसरे ख्वाब निकले,
गर्द भरे पीले पन्नों से,नादान ख्वाहिशों के सूखे महकते गुलाब निकले,
जी चाहा,अंधेरे में ठंडी राख से आज फिर कोई माहताब निकले।
#yqdidi#yqbaba#bachpan#kitabein#yaadein#khwahishein#yqbhaijaan
पुरानी आलमारी से,
स्कूल के दिनों के कुछ जीर्ण-शीर्ण किताब निकले,
किताब क्या थे,कहिए कि 
मुस्कुराते बचपन के बिसरे ख्वाब निकले,
गर्द भरे पीले पन्नों से,
नादान ख्वाहिशों के सूखे महकते गुलाब निकले,
जी चाहा,अंधेरे में ठंडी राख से 
आज फिर कोई माहताब निकले।
 पुरानी आलमारी से,स्कूल के दिनों के कुछ जीर्ण-शीर्ण किताब निकले,
किताब क्या थे,कहिए कि मुस्कुराते बचपन के बिसरे ख्वाब निकले,
गर्द भरे पीले पन्नों से,नादान ख्वाहिशों के सूखे महकते गुलाब निकले,
जी चाहा,अंधेरे में ठंडी राख से आज फिर कोई माहताब निकले।
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