#ऐक पुरानी गजल बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है... मोत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है, सबको मालूम है बहार की हवा कातिल है, यूंही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है... ऐक पल की है ज़िन्दगी उसे सभाल के रखो... कबरस्ता को सजाने की जरूरत क्या है, दिल के बेहला ने को घर में ही वजह काफी है... यूंही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है, 🙏🙏🙏 ✍️ रूचित✍️ #feather