"ज़रूरी नहीं कि कविताओं में हर बार प्रेम ही उमेड़ा जाए,
कभी तो ज़िन्दगी का सच भी उजागर किया जाए।
एक स्त्री जो निकल पड़ती है कमाने,
अपने बच्चे को पीठ पर बाँधे।
कैसे देख सकती है अपने बच्चे को रोता-बिलखता,
मातृत्व उसके हौसलों में झलकता।
हालात से गरीब है,
लग्न से अमीर है। #Poetry#hindipoetry#EXPLORE#AnjaliSinghal