Time and Effort भय ना हो तो फिर डगर कैसा, चलने में आगे फिर डर कैसा। संघर्ष ही समय के ओर चले, कोशिश नहीं तो फिर समर कैसा। चल मतवाले बन जाएँ हम, भय को सबक सिखाएँ हम। बन रणचंडी के विर अनोखे, रणभुमि में शिश चढाएँ हम।2 #koshish Vijaya Singh