पहाड़ से गिरते झरने सफेद दूधिया घनी सुबह की नारंगी किरणे झगड़ती मैंना चहचहाती गौरया कूकती कोयल और आकाश मे उड़ते असंख्य झुण्ड पक्षियों के........ मुझमे एक निर्मल नमी का संचार कर गये हैँ मुझे लगता हैँ मेरी अंतरंग यात्राओं के ये आत्मीय सहचर.. आने वाले युगो मे भी मेरे साथ बने रहेंगे.. और गवाही देती. रहेंगी मेरी धडकने सिहरने और ये मौन ध्वनियों की शाश्वत अभिव्यक्तिया इसीतरह मौन ध्वनियों की शाश्वतता