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अनहद नाद से.., शब्दों को आकार दे, उक्ति को उद्गार

अनहद नाद से..,
शब्दों को आकार दे,
उक्ति को उद्गार दे,
सन्नाटों को पुकार दे,
अभाव को विचार दे!

अनहद नाद से..,
पल्लव को संवार दे,
उपवन को विस्तार दे,
झरनों को झंकार दे,
सृष्टि को आधार दे!

 
अनहद नाद से..,
वाणी को श्रृंगार दे,
साँसों को करार दे,
तनमन को सुधार दे,
जनजन को प्यार दे!

अनहद नाद से..,
शत्रु को ललकार दे,
शस्त्रों को टंकार दे,
धर्म को उपहार दे,
नवयुग को उपकार दे!

डॉ आनंद दाधीच "दधीचि"

©Anand Dadhich #अनहद_नाद #Pukar #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoems #positivequotes 

#ArabianNight
अनहद नाद से..,
शब्दों को आकार दे,
उक्ति को उद्गार दे,
सन्नाटों को पुकार दे,
अभाव को विचार दे!

अनहद नाद से..,
पल्लव को संवार दे,
उपवन को विस्तार दे,
झरनों को झंकार दे,
सृष्टि को आधार दे!

 
अनहद नाद से..,
वाणी को श्रृंगार दे,
साँसों को करार दे,
तनमन को सुधार दे,
जनजन को प्यार दे!

अनहद नाद से..,
शत्रु को ललकार दे,
शस्त्रों को टंकार दे,
धर्म को उपहार दे,
नवयुग को उपकार दे!

डॉ आनंद दाधीच "दधीचि"

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