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क्यों अभिमान करते हो,माया तो क्षणभंगुर है। देह भी

क्यों अभिमान करते हो,माया तो क्षणभंगुर है।
देह भी नश्वर जीव भी नश्वर ही,जीवन ही बस अंकुर है।।

©ऋतुराज पपनै #जीवन

#FREEDOMART
क्यों अभिमान करते हो,माया तो क्षणभंगुर है।
देह भी नश्वर जीव भी नश्वर ही,जीवन ही बस अंकुर है।।

©ऋतुराज पपनै #जीवन

#FREEDOMART