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ये अलग बात मुक़द्दर नहीं बदला अपना एक ही दर पे रहे

ये अलग बात मुक़द्दर नहीं बदला अपना
एक ही दर पे रहे दर नहीं बदला अपना

इश्क़ का खेल है शतरंज नहीं है साहिब
मात खाई है मगर घर नहीं बदला अपना

जाने किस वक़्त अचानक उसे याद आ जाए
मैंने ये सोच के नम्बर नहीं बदला अपना

              आदिल रशीद

©Vivek Dixit swatantra
  आदिल रशीद

आदिल रशीद #शायरी

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