फ़ख्र है मुझे खुद पर जब कोई अकेला था मैंने उनका साथ दिया पर जब मैं अकेली थी क्या उन्होंने अपना फ़र्ज़ निभाया पूछूं भी तो किसी मुंह से यहाँ अपना ही कौन है जिस डाली पर कभी पक्षियों की गूंज थी वो बूढ़ा बरगद भी तो आज अकेला है। ©subhalakshmi pattnaik #बरगद #फ़ख्र #अकेलापन #Blacktree